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CDC पर अवैध सेंसरशिप को बढ़ावा देने के आरोप में मुकदमा

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एक महत्वपूर्ण घटना में, सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े एक समूह ने अमेरिका के प्रमुख स्वास्थ्य संगठन सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) पर अवैध रूप से अमेरिकी नागरिकों की ऑनलाइन बातचीत को सेंसर करने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है।


मुकदमे का मुख्य आधार:


मुकदमा दायर करने वाले समूह का आरोप है कि CDC ने सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर काम किया ताकि कोविड-19 महामारी के दौरान "चुनिंदा विचारों और जानकारी" को दबाया जा सके। उनका दावा है कि यह कार्रवाई अमेरिकी संविधान में नागरिकों को प्रदत्त प्रथम संशोधन (Free Speech) के अधिकार का उल्लंघन है।


उनके अनुसार, CDC ने सरकारी एजेंसी होने के नाते अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए, उन विशेषज्ञों और आम नागरियों की आवाज़ों को दबाने का काम किया, जिनके कोविड-19 की उत्पत्ति, लॉकडाउन, मास्क और वैक्सीन जैसे मुद्दों पर सरकार के आधिकारिक रुख से अलग विचार थे।


मुकदमे की मांग:


यह मुकदमा CDC की उन गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग करता है जिन्हें "अवैध सेंसरशिप" बताया जा रहा है। समूह चाहता है कि अदालत CDC को यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूर करे कि भविष्य में वह अमेरिकी नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करे।


बड़ा सवाल:


यह मामला एक बहुत बड़े सार्वजनिक बहस के केंद्र में है: क्या सरकार का यह कर्तव्य है कि वह "गलत सूचना" फैलने से रोकने के नाम पर ऑनलाइन बोलने की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाए? या फिर, सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान भी, लोगों को अपने विचार रखने और सूचनाओं का स्वतंत्र रूप से आदान-प्रदान करने का पूर्ण अधिकार होना चाहिए?


इस मुकदमे का परिणाम अमेरिका में भविष्य के स्वास्थ्य संकटों के दौरान सरकार की भूमिका और नागरिक अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है।


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संक्षेप में: यह खबर CDC पर सरकारी आधिकारिक रुख से अलग राय रखने वालों की आवाज़ दबाने का आरोप लगाते हुए दायर एक कानूनी केस के बारे में है, जिसने 'स्वतंत्र बनाम नियंत्रित बोलने की आज़ादी' की बहस को फिर से छेड़ दिया है।

 
 
 

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