प्राकृतिक प्रसव की ओर वापसी – दाई परंपरा फिर से बन रही है आशा की किरण
- OXIDATION THERAPY FOR CDS
- Aug 5
- 2 min read

आज के इस तकनीक-प्रधान युग में, जब अत्याधुनिक अस्पतालों और आधुनिक उपकरणों से लैस प्रसव केंद्र मौजूद हैं, तब भी विश्व भर में मातृत्व मृत्यु दर एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है।
❗ जानिए एक चौंकाने वाला सच:
अमेरिका जैसे विकसित देश में भी हर साल लगभग 700 महिलाएं प्रसव के दौरान दम तोड़ देती हैं।

### 🩺 तकनीक के बावजूद क्या कुछ छूट रहा है?
जहां ऑपरेशन, दवाएं और भाग-दौड़ को सामान्य बना दिया गया है, वहीं एक *पुरातन प्रणाली – दाई परंपरा* – एक बार फिर नई उम्मीद बनकर सामने आ रही है।
**नेशनल जियोग्राफिक** की एक रिपोर्ट बताती है कि *अमेरिका से लेकर अफ्रीका के युगांडा जैसे देश* अब फिर से प्राकृतिक प्रसव प्रणाली की ओर लौट रहे हैं।
---
### 🌍 **युगांडा से सीखने लायक कहानी:**
उत्तरी युगांडा के एक गांव में सुबह 5 बजे एक महिला प्रसव पीड़ा में होती है। कॉल आता है *येल यूनिवर्सिटी* से जुड़े **मदर हेल्थ इंटरनेशनल (MHI)** संस्थान में। 40-45 मिनट के भीतर:
* एक मोटरसाइकिल,
* एक दाई,
* और एक प्रशिक्षित टीम
बिना किसी शोर-शराबे या अनावश्यक ऑपरेशन के महिला का सुरक्षित प्रसव कराती है। थोड़ी ही देर बाद, *उस महिला की गोद में एक स्वस्थ नवजात बच्ची होती है* – बिना किसी मेडिकल जटिलता के।
---
### 🧠 *“लौट के बुद्धू घर को आए…”*
आपको जानकर हैरानी होगी कि **भारत में 1970 तक**, हर गांव में ऐसी निपुण और अनुभवी *दाई माई* होती थीं, जो *प्राकृतिक तरीके* से सुरक्षित प्रसव कराती थीं।
अब जब दुनिया वापस उसी ओर लौट रही है – **तो क्या हमारे गांवों में कोई दाई माई अब भी बची हुई हैं?**
क्या हम उन्हें दोबारा सम्मान और स्थान दे सकते हैं?
---
### 🤱 *प्रजनन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है*
दुनिया के सारे स्तनधारी (जानवर भी) **बिना अस्पताल, दवाइयों और ऑपरेशन के** सफलतापूर्वक बच्चे को जन्म देते हैं। तो फिर इंसान के लिए यह इतना बोझिल, डरावना और खर्चीला क्यों बन गया है?
---
### 🔁 *अब समय है लौटने का…*
👉 एक ऐसी व्यवस्था की ओर जहां:
* हर महिला को सम्मान मिले
* प्रसव एक सम्मानजनक, सुरक्षित और प्राकृतिक अनुभव बने
* दाई परंपरा को फिर से पुनर्जीवित किया जाए
---
## 📣 क्या आपके गांव में कोई दाई माई अब भी हैं?
यदि हां – तो **उन्हें ढूंढिए, पहचानिए और सम्मान दीजिए।**
शायद वही हमारी अगली पीढ़ी के लिए सबसे बड़ी ‘डॉक्टर’ साबित होंगी।
---
**✍️ लेखक की बात:**
जब दुनिया तकनीक से थककर फिर *प्राकृतिक जीवनशैली* की ओर लौट रही है, तो हमें भी अपनी जड़ों की ओर देखना चाहिए। *दाई परंपरा कोई पिछड़ापन नहीं, बल्कि मातृत्व का सच्चा रक्षक है।*
Helpline number For Cellular Oxidation Therapy 9136337345




Comments